मनुष्य के जीवन में चाहे आन्तरिक शत्रु जैसे काम, क्रोध, लोभ,मोह, अहंकार आदि हों या बाहर के शत्रु हों तो जीवन की गति थम सी जाती है ऊँ नमों गंगा डकारे गोरख ब्रम्हा गोर धीपार कौड़ी लांघूँ आँगन लांघूँ, कोठी ऊपर महल छवाऊँ,गोरखनाथ सत्य यह भाखै, दुआरिआ पे मैं अलख https://www.youtube.com/watch?v=qGCHTa9HGyw
The Best Side of shabar mantra
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